रविवार, 20 दिसंबर 2020

पराया

  पराया  यह  शब्द आप लोगों ने कई बार घर परिवार मोहल्ले  आदि में सुना होगा और खासकर घर में तो कई बार सुनने को मिलता है अगर आपके घर में बेटियां हैं तो  ना जाने क्यों लोग बेटियों को पराया कहते हैं ना जाने क्यों लोग बेटियों को ही विदा करते हैं फिर जान के अनजाने लोग भी बेटियों को ही मां कहते हैं  क्या इस संसार का यही रीत है अगर हां तो प्रीत क्या है  और यह बाबुल कौन है जो घोड़े में आया और घोड़ी में चला गया धुम मचा के ऐसा भी कोई करता है क्या   जो अपनों की सपनों को भी पराया कर गया    पराया तो लोग हैं जो पराया कहते हैं  पराए लोग हो सकते हैं पर घर नहीं घर तो अपना ही होता है हमेशा से हमेशा की तरह जहां भी रहो वही घर बन जाता है परिवार बन जाता है खुश होने के लिए हमें खुश नसीब की जरूरत नहीं है क्योंकि खुशनसीब तो हम खुद हैं जो इस धरती पर जन्मे है इस मां को कभी पराया मत कहना यह अपनी मां है हम सब की मां इसकी रक्षा करो अगर इसे पराया कहा  तो  सारी दुनिया से पराए हो जाओगे पता नहीं अगले बार किस  प्लानेट पर जन्मेगे   वहां हरियाली होगी भी कि नहीं खुशहाली होगी की भी नहीं  वक्त की घड़ी आज है कि आज को जी लेते हैं वरना वक्त कहां आएगा सपनों का लिहाज पूरा कर लेते हैं वरना वक्त कहां आएगा वक्त ने सबको को पराया किया है अगर मैं आज हूं तो कल नहीं रहूंगा क्योंकि पराया वक्त  तो सबका आता है जो सबको अपनों से पराया कर जाएगा

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