जिं दगी की एक अपनी कहानी
अप्रैल
आज बहुत दिनों बाद ट्रेन का सफर कर रहा हूं अभी रात्रि के 11:00 हुए हैं लगातार
ट्रेन के आने के अनाउंसमेंट हो रहा है और कुछ ही देर में ट्रैन ये लो आ भी गई जब
मैं स्टेशन पहोचा था वहा पे बहोत भीड़ थी लोग आ और जा रहे थे कहा से आ रहे थे और
कहा जा रहे थे ये तो नही पता पर उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानो जैसे उनकी जिंदगी
मैं भाग दौड़ सा मचा हो वैसे हम सब की जिंदगी में भाग दौड़ है यही तो जिंदगी है
ट्रेन के आते ही लोग ट्रेन की ओर भागने लगे मैंने अपनी बहन से पूछा ये सब कहा भागे
जा रहें है वो बोली भाई ट्रैन आ गया अपना वाला बोगी पीछे है जिसमे हमको बैठना है
मैने पूछा हम आगे वाले डिब्बे में क्यों नहीं बैठ सकते डिब्बा तो डिब्बा है आखिर
जाना तो वहीं ही है अरे नहीं इन ट्रैन के डिब्बों में ना बड़ा लोचा है हर कोई हर
डिब्बे में नहीं बैठ सकता इन डिब्बों को अलग अलग श्रेणी में रखा गया है पैसे का
बड़ा भेद भाव अगर आप की फाइनेंशियल कंडीशन ठीक ठाक है तो Ac seat बुक कर सकते अगर
इससे थोड़ा कम तो आप स्लीपर के सीट बुक कर सकते नही तो फिर जनरल डिब्बा तो है ही
जिंदा बाद ट्रेन का आगे का डिब्बा आमीरो के लिए और पीछे का जेनरल डिब्बा हम जैसों
के लिए वैसे हमे सीट तो मिल गया है . मेरी बहन सो रही है और मैं लिखने में मस्त हु
वैसे गर्मी वाली ठंडी हवा काफी मस्त है हां हल्का हल्का नींद भी आ रा है पर मुझे ये
सफर अच्छा लग रा है लोग अपने अपने सीटों में नींद से यो ही झूम रहे है ट्रेन अपनी
मदहोश चाल में दौड़ती कूदती चली जा रही है .मुझे इसका झूमना पसंद आ रहा है अभी एक
नया स्टेशन आने वाला है रात के 12: 45हो चुके है मेरे सामने के सीट में दो अंकल है
एक घोड़े दे के सो रहे है. और एक अपने मोबाइल में बिजी है यार अब तो मुझे भी नींद
आने लगा अब क्या बताऊं ट्रेन की गति इतनी है कि शहर के सहर पीछे छूटते जा रहे ट्रेन
अपनी ही धुन में आगे बढ़ी जा रही है. अब हमारी ट्रेन इक नई स्टेटेशन पर रुकी है ये
उमरिया है मैने अपने बगल के खिड़की से स्टेशन का थोड़ा सा जायजा लिया मैने देखा कि
लोग स्टेशन में बैठे कोई सो रहा तो कोई नजरे गड़ाए मोबाईल को निहारे बैठा है हर कोई
अपनी गाड़ी के आने की ताक में है ये लो हमारी ट्रेन भी चल पड़ी पता नही अगला स्टेशन
कौन सा है यार अपनी जंदगी भी न इस ट्रेन के जैसे ही है बस चलती रहती है जैसे ट्रेन
के हर स्टेशन में तरह तरह के लोग मिलते जाते है वैसे ही अपनी जिंदगी के मोड में भी
तरह तरह के लोग मिलते है अच्छे बुरे भले .....चलो एक बाहर का नजारा देखते है बिजली
की चमक से पूरा शहर चकमका रा है चारो तरफ रौशनी ही रौशनी फिर अंधेरा। .....अब ये
वाला स्टेशन Rupaund है इसके बाद हम लोग होंगे कटनी में अभी रात्री के 1 बज रहे है
यहां पर ट्रैन काफी लंबे समय तक रुकी और अब ट्रेन फिर से चल पड़ी है मेरे सीट के
सामने ही जहां पे से लोग होकर जाते यानी रास्ता वाला हिस्सा वहा पर इक छोटी सी
सुंदर सी बिटिया सोई हुई है जिसको आते जाते लोग ऊपर से नक कर जा रहे है यह देख कर
थोड़ा अजीब लग रा है की आखिर लोग ऐसे कैसे कर सकते है अगर मेरे पास उस बच्ची के
सोने लायक जगह होती तो मैं जरूर दे देता पर कोई ना जब भी मेरे पास कुछ ऐसा होता
जिससे मैं किसी का मदद कर सकू तो मै मदद जरुर करता हूं हम सब को इक दूसरो की मदद
करनी चाहिए क्योंकि हम सब को भी मदद की जरूरत पड़ती हैं चलिए बातो ही बातो हम इक और
नए स्टेशन पहोच आए चलो बाहर की ओर बोर्ड देखे कौन सा स्टेशन है ओह हम अभी झलवारा
में है इसके बाद ......कटनी आने वाला है अभी गाड़ी स्टेशन पर रुकी हुई है चाय वाले
और मुंगफल्ली वाले बार बार चक्कर लगा रहे गाड़ी के रुकने पर मैं भी कुछ देर के लिए
गाड़ी से उतर गया थोड़ी ही देर में गाड़ी के चलने का सिग्नल मिल गया सिग्नल के
मिलते ही मैं फिर से ट्रेन में चढ़ गया और गाड़ी चल पड़ी एक चच्चा जी थे सज्जन टाइप
के उन्होंने ही मुझे इसरा दिया था की ट्रेन जाने वाली तो मै तो उसी टाइम चढ़ गया था
पर चच्चा जी न चढ़े जब ट्रेन चलने लगी तो अचानक से जहा पे से चढ़ते है वाला दरावज
बंद हो गया अपने से से ही और चच्चा जी बाहर को रह गए मुझे लगा वो तो गए पर हुआ ये
की गेट बड़ाम से खुला चच्चा जी तो चलते ट्रेन मे दरवाजे को लात मार के चढ़ गए और
कुछ देर ख़ुद से ही बड़बड़ाने लगे साला कितना घटिया दरवाजा है और जोर से एक लात दे
मारे मुझे उन्हें देख कर हंसी आ रही थी उनके इस हरकत पर फिर मैं अपने सीट पर आ गया
ये क्या ट्रेन पर किसी ने ब्रेक लगा दिया ओ भाई की होगौ यार अभी तक 03:18। ट्रैन
में बड़ा उटपटांग उटपटांग लोग है यार बैठे बैठे ही सो जाते है किसी का तो मुंह ही
खुला का खुला रह जाता है उसनींद होने पर लोग ऐसे सो जाते है जैसे उनकी बॉडी में जान
हो ही ना आखिर कर हम कटनी पहोंच आए टाइम 03:37 अरे ओ सांभा हम तो कटनी पहुंच आए
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Mя᭄𝖗𝖔𝖈𝖐𝖘𝖙𝖆𝖗💠S@NU࿐
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